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~~ बचपन~~
एक सुन्दर सा सपना था,
बचपन तो बस अपना था |
आँखों से मोती बहते थे,
होठों पर फूल खिलते थे |
बचपन के दिन भी कितने अच्छे थे
आधे से ज्यादा छुट्टियों मैं कटते थे |
एक सुन्दर सा सपना था,
बचपन तो बस अपना था |
दादी से परियों की कहानियां सुनते थे,
उनके देश मैं ही रहने की सोचते थे |
पंचतंत्र की कहानियां कुछ सिखाती थी,
और तेनाली रामन की हंसाती थी |
एक सुन्दर सा सपना था,
बचपन तो बस अपना था |
जब भी नींद आती थी ,
माँ के आँचल मैं सो जाते थे |
नहीं तो पापा की ऊँगली पकड़ कर,
बाज़ार मैं घुमने चले जाते |
एक सुन्दर सा सपना था,
बचपन तो बस अपना था |
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