~!~ Welcome To "Freedom Of Thoughts" ~!~

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Sunday, February 13, 2011

~!~ रंग ~!~




Disclaimer: Below thoughts are purely mine and have not been taken from a site or any other source.
ये कविता आज के इस युग मैं हो रहे रंग एवं आर्थिक भेद के ऊपर हें |
ये कविता सन्देश देती हें की कोई गरीब, अमीर, गोरा एवं काला नहीं हें, बल्कि सब इंसान हें |

ज़िन्दगी के रंग देखो,
कहीं कोई हें गरीब,
तो  कहीं  कोई अमीर ,
बस इतना ही क्यूँ सोचो |

ज़िन्दगी के रंग हें अनेक,
उसमें से मैंने चुना एक,
इस रंग से दिखती सारी दुनिया एक,
न कोई  काला और न कोई सफ़ेद |

इस दुनिया से ये रंग हें,
इन रंगों से ये दुनिया नहीं,
इस दुनिया मैं हर कोई इंसान है
परन्तु कोई भी गरीब और अमीर नहीं |

ज़िन्दगी के सारे रंगों मैं,
सबसे प्यारा इंसानियत का रंग हें
ये रंग हर कोई पैदाइश के साथ लाता हें,
और मौत के साथ ले जाता हें |

आज की इस ज़िन्दगी मैं,
मानवता के रंगों से होली नहीं खेली जाती,
आज के इस युग मैं होली के नाम पर याद,
सिर्फ लाल रंग की ही आती |

आओ इस रंगों के भेद से,
ऊपर उठ कर बात करें,
हम साथ थे और साथ हें
यही बात कह कर इंसानियत के रंग
का प्रचार करें |

!! जय हिंद !!

~!~ दिन ~!~ A Poem


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आज फिर ये दिन ऐसा लगता हें,
की चुपके से कुछ कहता हें |

ये दिन चुपके से कहता हें,
मैं आया हूँ सालों बाद,
फिर कभी नहीं आऊंगा,
कभी तुम्हें मैं हसाऊंगा,
तो कभी मैं रुलाऊंगा |

जिसने मेरी बात न मानी,
वो खाली हाथ रह जायेगा,
मुट्ठी मैं वही सब कुछ पायेगा,
जो मुझे समझ पायेगा |

जिस तरह बूँद बूँद,
से सागर बनता हें,
उसी तरह एक एक दिन से
तुम्हारा जीवन बनता हें |

एक दिन मैं कुछ मिलता हें,
एक दिन मैं कुछ खोता हें,
ये दिन बहुत बड़ा हें यारों,
कभी कुछ लेता हें तो कभी कुछ देता हें |


आज फिर ये दिन ऐसा लगता हें,
की चुपके से कुछ कहता हें |