~~ वर्षा ~~
ये कविता मैं वर्षा ऋतू के शुरुआत पर लिख रहा हूँ| वर्षा के आगमन पर क्या समा होता हैं, मैंने इस कविता मैं यही दर्शाने की कोशिश की हैं |
आज फिर वो समय आया हैं,
बादलों पर काला रंग छाया हैं |
धरती की यही पुकार हैं,
हें मेघ आज तुम बरसों,
बस यही एक आस हैं|
वर्षा की बूंदों से भारी ये बादल,
अभी बरस जायेंगे,
और साथ ही पूरी धरती,
को हरी भरी कर जायेंगे |
सुखी नदियों मैं पानी फिर बहेगा,
प्यासे जानवरों मैं एक नया जोश जागेगा |
गर्मी से सबको मिलेगी राहत,
पक्षी, फूलों मैं फिर होगी खिलखिलाहट |
छोटे, बड़े सभी इस
मौके का आनंद उठाएंगे,
वर्षा के बरसने की मस्ती
मैं सब खो जायेंगे |
रिमझिम रिमझिम वर्षा आई,
अपने संग उमीदें लायी,
वर्षा की इन बूंदों मैं,
बस्ता हैं जीवन सारा,
इन्ही बूंदों से हो जाता हैं,
सबका जीवन प्यारा |
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