~ !~ खुश रहो ~ !~
कवियित्री - श्रीमती रीना स्वर्णकार
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छोटी सी ज़िन्दगी है ,
हर बात में खुश रहो ,
जो चेहरा पास ना हो ,
उसकी आवाज़ मे खुश रहो ,
कोई रूठा हो तुमसे ,
उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो ,
जो लौट के नहीं आने वाले,
उन लम्हों की याद में खुश रहो,
कल किसने देखा हैं,
अपने आज में ख़ुश रहो,
खुशियों का इंतज़ार किस लिए,
दूसरों की मुस्कान में खुश रहो,
क्यूँ तड़पते हो हर पल किसी के साथ को,
कभी तो अपने आप में खुश रहो ,
छोटी सी तो ज़िन्दगी है ,
हर हाल में खुश रहो ॥
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